9/30/09

पहले अशआर अपनी माँ के नाम: - माँ तुम कहो




सबसे पहले अशआर अपनी माँ नशीम बीबी के नाम

जो
आज हमारी आँखों से तो ओजल हे

मगर उनकी याद आजभी बरकरार है.

इससे पहले एक कता पेशे खिदमत है


माँ जैसी अजमत मिलेगी यारो

माँ जैसी नेअमत मिलेगी यारो

मिल जाएगी हर चीज़ जहाँ में लेकिन

माँ जैसी दौलत मिलेगी यारो.





अर्ज़ किया है




माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो


माँ तुम बीन कुछ अच्छा नही लगता

तुम्हारी बातों के सिवा कुछ सच्चा नही लगता

भाई भी रहेते उदास है

माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो।






पापा भी गुमसुम से रहतें हैं

सब घरमे खोये-खोये से रहते हैं

बस एक तुमसे मिलने की आस है


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो




तुम गर रहे हमसे खफा

तो हमभी ज़िन्दगी से कर लेंगे जफा

क्या तुमको नही आता हम पर तरस है


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो


जब तक हम सुनलें

तुम्हारी आवाज़

जाने क्यूँ कुछ भी आता नही है रास

घर का हर एक शख्श करता तुम्हे याद है


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो




तुम गए हो जब से छोड़कर हमे यहाँ

वक़्त ले रहा है सेकंडों इम्तेहान


अब और दर्द होता नही बर्दास्त है


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो




लोट आओ माँ अब हम तुम्हे सतायेंगे

तुम जो कहोगे उसे हम हंस के मान जायेंगे

तुम जाओ एक बार बस यही फरियाद है


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो

माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो


माँ तुम कहो क्यूँ हमसे इतने नाराज़ हो


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