4/12/10

Zakhmi Gazal - मेरे अहेसास में तुम समा जाओ ना |

 





Zakhmi Gazal - मेरे अहेसास में तुम समा जाओ ना | 





मेरे अहेसास में तुम समा जाओना !

दिल के उजड़े मकान को बसा जाओना ! 




 एक मुद्दत से देखा नहीं चाँद को,

बन - संवर कर मेरी छत पे  आ जाओना !




आती - जाती हवाओं मचल कर चलो,

उनके चहेरे से आँचल उड़ा जाओना !





अपनी बाँहों के घेरे में लेकर मुजे,

मेरी ग़ज़लें मुझही को सुना जोना !






यादें तितली सी उडती रहीं शब् तलक,

ख्वाब का आज मौसम बना जाओना !






नाम ज़ख़्मी जो लिखा तुमने रेत पर,








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