Zakhmi Gazal - मेरे अहेसास में तुम समा जाओ ना |
मेरे अहेसास में तुम समा जाओना !
दिल के उजड़े मकान को बसा जाओना !
एक मुद्दत से देखा नहीं चाँद को,
बन - संवर कर मेरी छत पे आ जाओना !
आती - जाती हवाओं मचल कर चलो,
उनके चहेरे से आँचल उड़ा जाओना !
अपनी बाँहों के घेरे में लेकर मुजे,
मेरी ग़ज़लें मुझही को सुना जोना !
यादें तितली सी उडती रहीं शब् तलक,
ख्वाब का आज मौसम बना जाओना !
नाम ज़ख़्मी जो लिखा तुमने रेत पर,
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